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दिनकर की आभा लिये


दिनकर की आभा लिये
मुस्कुराती नील सुमन
उठने लगी बसंत बयार
संग कोकिल है मगन/१/

हर रूत हिय को हरती
खिल महके वन उपवन
देख भ्रमर का मन डोले
प्रकृति करे ज्यों सृजन/२/

चंद्रमा भी नैन लगाये
नभ से मुक निहारती
छुपकर चांदनी धवल
पुष्पित सुमन सराहती/३/

छेड़ मिलन अनुराग
लगे है मुरली बहके
फूलों की भीनी गंध
अंतर मन है महके/४/

बहती नीरव नद
नवयौवन मधुमाती
नवकली बनी गुल
मस्त पवन सहलाती/५/

तोषण चुरेन्द्र 'दिनकर

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5 Comments

Neelam josi

21-May-2022 05:58 PM

Very nice 👍🏼

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Reyaan

21-May-2022 01:48 PM

👌👏

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Toshan Churendra 'Dinkar'

21-May-2022 02:58 PM

धन्यवाद

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fiza Tanvi

21-May-2022 01:11 PM

Bahut sunder sir

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Toshan Churendra 'Dinkar'

21-May-2022 02:58 PM

बहुत बहुत धन्यवाद

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